मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार आरटीओ के पूर्व करोड़पति कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा, उसके सहयोगी चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल को भोपाल की सेंट्रल जेल में ढाई महीने बीत गए हैं। 4 फरवरी को तीनों को पहली बार जेल भेजा गया था।
11 फरवरी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सात दिन की रिमांड पर लिया और 17 फरवरी को वे दोबारा जेल पहुंचे। इस तरह तीनों ने ज्यूडिशियल कस्टडी में अब तक 75 दिन बिता लिए हैं। जेल में तीनों के लिए एक-एक दिन पहाड़ बन चुका है।
न उन्हें आपस में बातचीत करने की इजाजत है और न साथ रहने की। कुख्यात कैदियों की तरह तीनों की निगरानी को खोल दिया गया है। जेल की भाषा में निगरानी खोले जाने का मतलब राउंड अ क्लॉक नजर रखना होता है। तीनों के साथ दो-दो कैदी साय की तरह रहते हैं।
यह कैदी जेल प्रशासन के विश्वसनीय हैं। यह कैदी हर 12 घंटे में अधिकारियों तक तीनों की हर गतिविधि की सटीक जानकारी पहुंचाते हैं। इसी के साथ प्रतिदिन होने वाली गणना में तीनों से चक्कर अधिकारी सीधी बातचीत करते हैं।
इसमें तीनों जेल में बीत रहे हर लम्हे की जानकारी अधिकारियों को देते हैं। इसी के साथ अपने सेहत, अन्य कैदियों द्वारा किए जाने वाला व्यौहार की जानकारी भी उन्हें देते हैं। जेल में शरद को ब्लड प्रेशर और स्किन संबंधी बीमारियां लगातार बनी हुई हैं।
एक बार मिली आपस में बातचीत की इजाजत सौरभ की ओर से लगातार उसके साथी शरद और चेतन से बातचीत करने की अनुमति मांगी जा रही है। 5 बार प्रयास के बाद जेल प्रशासन की ओर से उन्हें एक बार आपस में बातचीत करने की इजाजत दी गई। जेलर के कमरे में तीनों को साथ बैठाया गया। यहां करीब एक घंटे तक तीनों ने आपस में बातचीत की।
बिल्डिंग सेंटर में अलग-अलग बंद हैं तीनों आरोपियों को ब खंड के करीब बिल्डिंग सेंटर नाम की जगह पर रखा गया है। यहां तीनों अलग-अलग बैरक में और कैदियों सहित जेल स्टॉफ की निगरानी में रहते हैं। जेल जाने के बाद से ही तीनों अन्य कैदियों से कम बातचीत करते हैं।
सुबह समय पर नाश्ता लेते हैं। दोपहर का खाना भी पूरा खाते हैं। लेकिन रात के खाने को सौरभ और शरद न के बराबर ही खाते हैं। हालांकि चेतन तीनों समय जेल से मिले खाने को अच्छे से ही खाता है। हालांकि जेल की गर्मी ने तीनों को बेहाल कर रखा है।
नहीं दी गई लाइब्रेरी जाने की सुविधा जेल में सौरभ, शरद और चेतन को ब खंड के पास बनी चार विशेष बैरक में से तीन में रखा गया है। इन बैरक में तीनों के अलावा 29-29 अन्य कैदी रह रहे हैं। इन कैदियों के बीच जेल प्रशासन के लिए अंदरखाने की खबरें जुटाने का काम करने वाले कैदी भी मौजूद हैं।
जो पल-पल की अपडेट प्रहरियों के माध्यम से जेल प्रशासन तक पहुंचाने का काम करते हैं। तीनों की सुरक्षा को देखते हुए बैरक में आक्रामक कैदियों के साथ नहीं रखा गया है।
जेल में घूमने फिरने का दायरा तय तीनों को जेल में एक फिक्स दायरे तक जाने की ही इजाजत है। जेल के जिस हिस्से में तीनों को रखा गया है, वहां मौजूद हवालात में बंद अन्य कैदियों के अलावा किसी दूसरे कैदियों का जाना वर्जित है। इसी के साथ अन्य कैदियों की तरह तीनों को लाइब्रेरी में जाकर अखबार या अन्य किताबें पढ़ने की अनुमति भी नहीं है।
मिल चुकी है लोकायुक्त कोर्ट से जमानत RTO के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा को 62 दिन बाद विशेष न्यायाधीश आरपी मिश्रा की कोर्ट से लोकायुक्त केस में जमानत मिल गई है। 28 जनवरी को उसे गिरफ्तार किया गया था। उस पर आए से अधिक संपत्ति होने के आरोप हैं। लोकायुक्त ने 19 दिसंबर 2024 को उसके घर और जयपुरिया स्कूल की निर्माणाधीन बिल्डिंग में छापा मारा था।
दोनों स्थानों से टीम को 50 लाख रुपए से अधिक के जेवरात, लाखों रुपए की नकदी और 234 चांदी सिल्लियां मिली थी। ये सिल्लियां उसने अपने ऑफिस में बोरे और झोलों में बंद कर छिपा रखी थी।